आधार नंबर का उपयोग करके बैंक अकाउंट से नगद निकाशी करना सरल है। लेकिन कुछ ऐसी भी बातें है जिनको लेनदेन करते समय ध्यान में रखना चाहिए। आइये देखते है वह कौनसी चीजे है, जिनका सही तरह से अनुपालन करना आवश्यक है।
नगद निकाशी करते वक्त यह ध्यान रहे की आप ग्राहक के सामने लेनदेन परिपूर्ण कर रहे है।
ग्राहक के डिटेल्स दर्ज करने पर दोबारा जाँचे और निकाशी की राशी दोबारा पूछे।
प्रत्येक लेनदेन के बाद, लेनदेन का विवरण एक रजिस्टर में लिखके रखे।
लेनदेन सफल हो या असफल – अंत में अपना वॉलेट जरूर चेक करें।
जब तक विथड्रावल की हुई राशी आपके आईडी में नहीं आ जाती, ग्राहक को पैसे ना दे।
नगद निकाशी करते वक्त पैसे फंसने के चान्सेस बहुत कम होता है, फिर भी पैसे फंसने की स्थिति में अपने ग्राहक को सम्बंधित बैंक में कंप्लेंट करने को कहे।
यदि बैंक अधिकारी कंप्लेंट नहीं ले रहे है, ऐसे में आप बैंक के कस्टमर केयर या बैंक के CRM पोर्टल माध्यम से कंप्लेंट दर्ज कर सकते।
स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया (SBI) का केवल एक दिन में एक ही सफल ट्रांसक्शन कर सकते है। बैलेंस इन्क्वायरी या मिनी स्टेटमेंट ट्रांसक्शन को भी ट्रांसक्शन में गिना जाता है। मतलब, यदि आप SBI ग्राहक का बैलेंस इन्क्वायरी करते है, तो अगले 24 घंटे तक विड्राल या बैलेंस इन्क्वायरी नहीं कर सकते। इसलिए, यदि ग्राहकों को पैसो की अतिआवश्यकता हो तो डायरेक्ट नगद निकाशी करे, ना कि बैलेंस इन्क्वायरी। ऐसे कई और बैंक्स हो सकते है, लेकिन फ़िलहाल हमें SBI के बारे में पता है।
AePS के माध्यम से 9-10 नए ट्रांसक्शन्स की रिकॉर्ड निकाल सकते है। यह सुविधा लगभग सभी AePS कंपनियों में उपलब्ध है। कुछ AePS Providers इन ट्रांसक्शन्स पर कमीशन भी प्रदान करते है। कमीशन के चक्कर में हर कोई बैलेंस इन्क्वायरी के बदले मिनी स्टेटमेंट ट्रांसक्शन करने लगे है। यह बैलेंस इन्क्वायरी से बेहतर सर्विस है, हालाँकि मिनी स्टेटमेंट ट्रांसक्शन पर कुछ बैंक्स चार्ज लेते है। यह चार्ज ग्राहकों के बैंक अकाउंट से कटता है।
बैंक ऑफ़ इंडिया के मिनी स्टेटमेंट पर प्रति ट्रांसक्शन 3 रूपये के दर के अनुसार कटता है।
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